एक बख़त था... - सत्यवीर नाहडिय़ा |
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एक बख़त था, गाम नै माणस, राम बताया करते। आपस म्हं था मेलजोल, सुख-दुख बतलाया करते। माड़ी करता कार कोई तो, सब धमकाया करते। ब्याह-ठीच्चे अर खेत-क्यार म्हं, हाथ बटाया करते। इब बैरी होग्ये भाई-भाई, रोवै न्यूं महतारी। पहलम आले गाम रहे ना, बात सुणो या म्हारी॥
एक बख़त था साझे म्हं सब, मौज उड़ाया करते। सुख-दुख के म्हां साझी रहकै, हाथ बटाया करते। घर-कुणबे का एक्का पहलम, न्यूं समझाया करते। खेत-क्यार अर ब्याह्-ठीच्चे पै आग्गै पाया करते। रल़मिल कै वै गाया करते-रंग चाव के गीत दिखे। इब कुणबे पाट्ये न्यारे-सारे, नहीं रह्यी वै रीत दिखे॥
एक बख़त म्हारी नानी-दादी, कथा सुणाया करती। बात के बत्तके कडक़े कुत्तके ठोक जंचाया करती। होंकारे भरते बालक-चीलक, ग्यान बढ़ाया करती। संस्कार की घुट्टी नित बातां म्हं प्याया करती। कहाणी म्हं सार सिखाया करती-ला छाती कै टाब्बर। इब नानी-दादी बण बैठ्ये ये टीवी अर कम्यूटर॥
एक बख़त था पीपल नै सब, सीस नवाया करते। तिरवेणी म्हं बड़-पीपल अर नीम लगाया करते। ऊठ सबेरै नित पीपल़ म्हं नीर चढ़ाया करते। हो पीपल-पूज्जा, लिछमी-पूज्जा बड़े बताया करते। गीता-ज्ञान सुणाया करते-जब पीपल़ बणे मुरारी। इब कलयुग म्हं पीपल़ पै भी चाल्लण लागी आरी॥ ...
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वो गाम पुराणे कडै़ गये - नरेन्द्र गुलिया | Narendra Gulia |
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वो गाम पुराणे कडै़ गये, वो गाम पुराणे कड़ै गये वो पहल्यां आली बात नहीं, सुखधाम पुराणे कडै़ गये वो गाम पुराणे कडै़ गये, वो गाम पुराणे कड़ै गये ! ...
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बाट | हरयाणवी गीत - श्रीकृष्ण गोतान मंजर | Shrikrishna Gotan Manjar |
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कोये ना कोये बात सै । मेरी मायड़ जी हुलसावै।। ...
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हरियाणा | हरियाणवी गीत | कविता - श्रीकृष्ण गोतान मंजर | Shrikrishna Gotan Manjar |
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सब सै निराला हरियाणा दूध घी का सै खाणा॥ ...
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हरयाणे का छौरा देख - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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हरयाणे का छौरा देख लाम्बा, चौड़ा गौरा देख ...........हरयाणे का छौरा देख! ...
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साजण तो परदेस बसै - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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साजण तो परदेस बसै मैं सुरखी, बिंदी के लाऊं सामण बी इब सुहावै ना, मैं झूला झूलण के जाऊं ...
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बाजरे की रोटी - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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बाजरे की रोटी ना थ्यावै कदै साग हो गै परदेसी जणूं फूट्टे म्हारे भाग ...
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दूध-दहीं हम मक्खण खांवैं - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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दूध-दहीं हम मक्खण खांवैं हरयाणे का नाम बणावैं ............................ हरयाणे का नाम बणावैं ...
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दोगाना युगलगीत | Haryanvi Duet Song - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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लाड सै, दुलार सै आँखां के मैं प्यार सै छोड़ मत जाइयै तू तों ही घर बार सै! .....लाड सै, दुलार सै आँखां के मैं प्यार सै!! ...
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चल हाल रै उठ कै चाल... - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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चल हाल रै उठ कै चाल बड़ी सै दूर रै जाणा उडै चाहे धूल सै मंजल दूर नहीं पर सै घबराणा चल हाल रै उठ कै चाल बड़ी सै दूर रै जाणा ...
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हुड्डा हो, चौटाला हो - रोहित कुमार 'हैप्पी' | Rohit Kumar 'Happy' |
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हुड्डा हो, चौटाला हो कदै न घोटाळा हो हाँ, कदै न घोटाळा हो..... ...
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हरियाणा राज्य गीत - नरेश कुमार शर्मा |
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हेरै मिली नई-नई सौगात हुआ रोशन म्हारा हरियाणा ।
सारे हक रखे सर्वोपरि उन्नत हुआ किसान म्हारा । स्वास्थय की सोच निराली उत्तम है संस्कार म्हारा । इब हो लिया आत्मसात आया है समय सुहाणा । हेरै मिली नई-नई सौगात........ ...
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लियो झलक देख हरियाणे की - नरेश कुमार शर्मा |
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राज्य गीत के माध्यम से लियो झलक देख हरियाणे की। नई-नई चली स्कीम योजना कोन्या बात बहकाणे की। नीयती नेक चला राखी सै राज्य के म्हा हुआ विकास। सूचना प्रौद्योगिकी के कारण चारों तरफ हुआ प्रकाश। स्वस्थ-स्वच्छ अभियान के जरिये गई श्यान बदल हरियाणे की। नई-नई चली स्कीम योजना................ ...
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अलबेली छोरी - नरेश कुमार शर्मा |
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मै अलबेली छोरी मेरी मटकै पोरी-पोरी मैं मस्त छबीली नार। |टेक|
मेरी पायल छन-छन छनकै। पग घुंघरू खन-खन खनकै। किसी उठै सै झनकार। मैं मस्त छबीली नार...................
मैं आजाद फिरू सु। किसे तै नहीं डरू सु। चाहे हो कोए थानेदार। मैं मस्त छबीली नार..................
सारे गाम की करू घुमाई। करती अपणे मन की चाई। मै तो नाचू सरे बजार। मैं मस्त छबीली नार.......................
मै तो जवान भूतनी। देशां की फिरू उतनी। मेरी चली सारे कै तकरार। मैं मस्त छबीली नार...................
नरेश ध्यान मैं धरलु जिस पै। अपणा काबू करलु उस पै। उसकी नहीं बसावै पार। मैं मस्त छबीली नार................... ...
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शर्म लाज कति तार बगायी - जितेंद्र दहिया |
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शर्म लाज कति तार बगायी या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी...! ...
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बचपन - विरेन सांवङिया |
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प्यारे थे बचपन के साथी एक तै बढकै एक हिमाती चिजै खाण नै सारे डाकी धोरै रूपली किसे कै नै पाती
दैख कै बांदर फैंकते चिजै दिखा ठोसा फेर काढते खिजै कैट्ठे होकै घणे खेले खेल पकङ कै बुर्सट बना दी रेल
गली म्हं खेले तै पकङम पकङाई प्लाट लुह्क गै तै लुह्कम छिपाई छुट्टी के दिन ना कदे भी न्हाये जोहङ पै जा कै घरघुल्ले बनाये
ढूँढ कै माचिस बणादें तांश संग खेलते फिर मित्र खास मार किलकारी नाच्चे हम झङ म्हं मोरणी भी देखी ब्याई एक बङ म्हं
कागज की नाव बणाया करदे बारीश के पाणी म्हं बहाया करदे बारीश होण तै पागे पिसे चिजै खा कै फेर लेगे जिसे
बणाके पिल्लू खेली गोली हारते दिखै तै खा गे रोली गिट्टे, बिज्जो खेलां करै थी छोरी कोए थी श्याणी तै कोए घणी गौरी
ओढ पहर वै गिरकाया करती झुका कै गर्दन शरमाया करती मैडम नै देख घणी ए डरती हर त्यौहार पै रह थी बरती
जोहङ पै नहा कै आया करते बैठक म्हं तांश बजाया करते खेल खेल म्हं कर लेते लङाई प्यारे दोस्त पै खा लेते पिटाई
सरकंडा के बणाये थे तुक्के गुलेल तै निशाना कोए ना चुक्के साथिया गैल गए जोहङ पै शर्त लगा ली थी पहलै मोङ पै
बङ पै चढकै मारी ढाक मुध्धे पङकै फुङाली नाक कदे पजामा तै कदे पहरी पैंट फैसगी शिशी तै ला लिया सैंट
क्लास म्ह बठै पकङ कोणा खा के डंडे फेर आव था रोणा पिछै बठकै कै स्याही फैकाणा टकले दोस्त का तबला बजाणा
दोस्तों के संग करकै अंगघाई खूब मास्टर की नकल कढाई खेले खाये भई तीज सिन्धारे दो चार छोड कै सब देखे बनवारे
नानी कै घर पै जाया करते खीर चुरमा खुब खाया करते बासी खाते थे खीचङी और दलिया माँ घाल्या करै थी निखङू का पलिया
ईब ना रह रह्या यो टेम पुराणा दादी माँ का नित लोरीयाँ सुणाणा सांवङीया नै था याद दिलाणा बचपन बैरी नै ना मुङके आणा ...
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नारी सौंदर्य - विरेन सांवङिया |
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कोमल बदनी, रात रजनी वा चालै चाल बच्छेरी के सी भेष दमकता, रूप चमकता ऊठै लहर लच्छेरी के सी रंग हरे मै गौरा गात जणू पङा दूब पै पाला मुखङा दमक दामनी सा जणू कर रा चाँद ऊजाला जोबन ऊमङै घटा की ढाला जणूँ पुष्प सुगंधी आला रूप हुस्न के लागै झोके व करै ज्यान का गाला चम-2 चम-2 चमके लागैं जैसे माता बैठी बेरी के सी कोमल बदनी, रात रजनी वा............
कदे चुबार तो कदे गलीयार फिरती भागी भागी दे कै झोल्ली मार कै बोल्ली वा छत पै आ गिरकागी घुम घाम कै ओली सोली मेरे स्याहमी आगी दो नैना के तीर चले जब हँस कै नै शरमागी होंठ रसमली गात मखमली जैसे फूलाँ आली ढेरी के सी कोमल बदनी, रात रजनी वा........... ...
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