Mhara Haryana - Haryanvi literature, culture and language
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हरियाणवी भजन
हरियाणवी भजन बहुत पुरानी विधा नहीं कही जा सकती। भारत में पश्चिम के भौतिकवादी दृष्टिकोण के आगमन से हमारी संस्कृति को बचाए रखने के लिए रचनाकारों ने इन भजनो की रचना की। अधिकतर भजनो में अध्यात्मिक मूल्यों की महत्ता पर बल दिया गया है। इन भजनो में अपने पूर्वजों की यशोगाथा प्रधान है और ईश्वर की लीला का यशोगान किया जाता रहा है।Article Under This Catagory
बता मेरे यार सुदामा रै - म्हारा हरियाणा संकलन |
बता मेरे यार सुदामा रै, भाई घणे दिनां मै आया - 2 |
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मन डटदा कोन्या - म्हारा हरियाणा संकलन |
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा |
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दीवाळी - कवि नरसिंह |
कात्तिक बदी अमावस थी और दिन था खास दीवाळी का - |
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