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हरियाणवी à¤à¤œà¤¨
हरियाणवी à¤à¤œà¤¨ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ विधा नहीं कही जा सकती। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पशà¥à¤šà¤¿à¤® के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¥€ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ के आगमन से हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को बचाठरखने के लिठरचनाकारों ने इन à¤à¤œà¤¨à¥‹ की रचना की। अधिकतर à¤à¤œà¤¨à¥‹ में अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की महतà¥à¤¤à¤¾ पर बल दिया गया है। इन à¤à¤œà¤¨à¥‹ में अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की यशोगाथा पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ है और ईशà¥à¤µà¤° की लीला का यशोगान किया जाता रहा है।Article Under This Catagory