आशा खत्री 'लता' | Asha Khatri 'Lata'

जन्म: 26 नवंबर, 1963

शिक्षा: एम.ए., बी.एड.

रचनाएं: ‘दर्द के दस्तावेज\' कथा संग्रह प्रकाशित। सपनों के शिखर, सपनों के मोरपंख, नयी सदी के हस्ताक्षर संकलनों में कविताएं प्रकाशित। विगत 10 वर्षों से लगातार दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक हरिभूमि समाचार पत्रों एवं अन्य अनेक पत्रिकाओं में कहानियां, लघुकथाएं, कविताएं, व्यंग्य व लेख प्रकाशित।

सम्मान: पंजाब नैशनल बैंक की पत्रिका पीएनबी स्टाफ जर्नल में ‘रिपोर्ताज' विधा में वर्ष 2010 का द्वितीय पुरस्कार एवं वर्ष 2011 के लिए ‘कविता' विधा में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त।

सम्प्रति: हरियाणा ग्रामीण बैंक में सहायक प्रबन्धक।

सम्पर्क: म. नं. 2527, सैक्टर-1, रोहतक- 124 001 (हरियाणा)

मोबाईल: 9050502135

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गूठी  |  हरियाणवी कहानी 

कुंतल नै पैहरण का बहोत शौक था। टूमा तैं लगाव तो लुगाइयां नै सदा तैं ए रहा सै। अर उनमैं भी गूठी खास मन भावै, क्यूंके परिणयसूत्र में बंधण की रस्मा की शुरुआत ए गूठी तैं होवे सै। यो ए कारण सै अक गूठी के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बण ज्या सै। कुंतल की गैलां भी न्युएं हुआ। ब्याह नै साल भर हो ग्या था फेर भी वा अपनी सगाई आली गूठी सारी हाणां आंगली मैं पहरे रहती। चूल्हा- चौका, खेत-क्यार हर जगह उसनै जाणा होता। गोसे पाथण तैं ले कै भैसां तैं चारा डालण ताहीं बल्कि खेतां मैं तै लयाण ताहीं के सारे काम उसनै करणै पड़ै थे। यो ए कारण था अक उसकी सास ने उसतैं कई बार समझाया भी के छोटी सी गूठी, आंगली तैं कढक़ै कितै पड़ ज्यागी। पर कुंतल सास की बात नै काना पर कै तार देती। बस कदे- कदाए उसनै चून ओसणणां पड़ता तै उतार कै एक ओड़ा नै धर देती और हाथ धोते एं फेर पहर लेती।

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