हरियाणवी गीत

हरियाणा में लोक-गीतों व रागनियों के अतिरिक्त सामान्य गीतों का भी प्रचलन है। गीत के लिए इसका छंद-युक्त होना अनिवार्य होता है ताकि इसकी गेयता बन पाए। छंद से ही गीत को ताल, गति व लय प्राप्त होती है।

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वो गाम पुराणे कडै़ गये - नरेन्द्र गुलिया

वो गाम पुराणे कडै़ गये, वो गाम पुराणे कड़ै गये
वो पहल्यां आली बात नहीं, सुखधाम पुराणे कडै़ गये
वो गाम पुराणे कडै़ गये, वो गाम पुराणे कड़ै गये !

 
एक बख़त था... - सत्यवीर नाहड़िया

एक बख़त था, गाम नै माणस, राम बताया करते।
आपस म्हं था मेलजोल, सुख-दुख बतलाया करते।
माड़ी करता कार कोई तो, सब धमकाया करते।
ब्याह-ठीच्चे अर खेत-क्यार म्हं, हाथ बटाया करते।
इब बैरी होग्ये भाई-भाई, रोवै न्यूं महतारी।
पहलम आले गाम रहे ना, बात सुणो या म्हारी॥

 
बाट | हरियाणवी गीत - श्रीकृष्ण गोतान मंजर

कोये ना कोये बात सै।
मेरी मायड़ जी हुलसावै॥

 
हरियाणा | हरियाणवी गीत  - श्रीकृष्ण गोतान मंजर

सब सै निराला हरियाणा
दूध घी का सै खाणा॥

 
हरियाणे का छौरा देख - रोहित कुमार 'हैप्पी'

हरियाणे का छौरा देख
लाम्बा, चौड़ा गौरा देख
...........हरियाणे का छौरा देख!

 
साजण तो परदेस बसै  - रोहित कुमार 'हैप्पी'

साजण तो परदेस बसै मैं सुरखी, बिंदी के लाऊं
सामण बी इब सुहावै ना, मैं झूला झूलण के जाऊं

 
बाजरे की रोटी - रोहित कुमार 'हैप्पी'

बाजरे की रोटी ना थ्यावै कदै साग
हो गै परदेसी जणूं फूट्टे म्हारे भाग

 
हरियाणे का नाम बणावैं - रोहित कुमार 'हैप्पी'

दूध-दहीं हम मक्खण खांवैं
हरियाणे का नाम बणावैं
हरियाणे का नाम बणावैं

 
लाड सै, दुलार सै--दोगाना - रोहित कुमार 'हैप्पी'

लाड सै, दुलार सै
आँखां के मैं प्यार सै
छोड़ मत जाइयै तू
तों ही घर बार सै!
.....लाड सै, दुलार सै
     आँखां के मैं प्यार सै!!

 
चल हाल रै उठ कै चाल... - रोहित कुमार 'हैप्पी'

चल हाल रै उठ कै चाल बड़ी सै दूर रै जाणा
उडै चाहे धूल
सै मंजल दूर
नहीं पर सै घबराणा
चल हाल रै उठ कै चाल बड़ी सै दूर रै जाणा

 
हुड्डा हो, चौटाला हो - रोहित कुमार 'हैप्पी'

हुड्डा हो, चौटाला हो
कदै न घोटाळा हो
हाँ, कदै न घोटाळा हो.....

 
लगा बुढेरा एक बताण - रोहित कुमार 'हैप्पी'

लगा बुढेरा एक बताण
आपस मै ना करो दुकाण
लगा बुढेरा एक बताण......

 
हरियाणा राज्य गीत - नरेश कुमार शर्मा

हेरै मिली नई-नई सौगात हुआ रोशन म्हारा हरियाणा ।

सारे हक रखे सर्वोपरि उन्नत हुआ किसान म्हारा ।
स्वास्थय की सोच निराली उत्तम है संस्कार म्हारा ।
इब हो लिया आत्मसात आया है समय सुहाणा ।
हेरै मिली नई-नई सौगात........

 
लियो झलक देख हरियाणे की - नरेश कुमार शर्मा

राज्य गीत के माध्यम से लियो झलक देख हरियाणे की।
नई-नई चली स्कीम योजना कोन्या बात बहकाणे की।
नीयती नेक चला राखी सै राज्य के म्हा हुआ विकास।
सूचना प्रौद्योगिकी के कारण चारों तरफ हुआ प्रकाश।
स्वस्थ-स्वच्छ अभियान के जरिये गई श्यान बदल हरियाणे की।
नई-नई चली स्कीम योजना................

 
अलबेली छोरी  - नरेश कुमार शर्मा

मै अलबेली छोरी मेरी मटकै पोरी-पोरी, मैं मस्त छबीली नार। ।टेक।

 
शर्म लाज कति तार बगायी - जितेंद्र दहिया

शर्म लाज कति तार बगायी या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी...!

 
बचपन का टेम - जितेंद्र दहिया

बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया करते,
आलस का कोए काम ना था भाजे भाजे हांड्या करते ।

 
बचपन - विरेन सांवङिया

प्यारे थे बचपन के साथी
एक तै बढकै एक हिमाती
चिजै खाण नै सारे डाकी
धोरै रूपली किसे कै नै पाती

 
नारी सौंदर्य - विरेन सांवङिया

कोमल बदनी, रात रजनी वा चालै चाल बच्छेरी के सी
भेष दमकता, रूप चमकता ऊठै लहर लच्छेरी के सी
रंग हरे मै गौरा गात जणू पङा दूब पै पाला
मुखङा दमक दामनी सा जणू कर रा चाँद ऊजाला
जोबन ऊमङै घटा की ढाला जणूँ पुष्प सुगंधी आला
रूप हुस्न के लागै झोके व करै ज्यान का गाला
चम-2 चम-2 चमके लागैं जैसे माता बैठी बेरी के सी
कोमल बदनी, रात रजनी वा............

 

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