काव्य

Haryanvi poetry including poems, ghazals, kshanika and folk songs. अंतरजाल पर हरियाणवी दोहे, कविता, ग़ज़ल, गीत क्षणिकाएं व अन्य हरियाणवी काव्य पढ़ें।

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क्यूँ अपणे हाथों भाइयाँ का लहू बहावै सै - सतपाल स्नेही

क्यूँ अपणे हाथों भाइयाँ का लहू बहावै सै
क्याँ ताहीं तू इतना एण्डीपणा दिखावै सै

 
गोरी म्हारे गाम | कविता - जैमिनी हरियाणवी | Jaimini Hariyanavi

गोरी म्हारे गाम की चाली छम-छम।
गलियारा भी कांप गया मर गए हम।।

 
दीवाली - सत्यदेव शर्मा 'हरियाणवी' - म्हारा हरियाणा संकलन

पत्नी नै अपनी अक्लबन्दी की मोहर
मेरे दिल पै जमा दी
और दीवाली आवण तै पहलम
सामान की एक लम्बी लिस्ट
मेरे हाथ में थमा दी।

 
हरिहर की धरती हरियाणा - रथुनाथ प्रियदर्शी - म्हारा हरियाणा संकलन

सबका प्यारा, सब तैं न्यारा, 'हरिहर' की धरती हरियाणा। 
तीरथ-मेले-धरोवरों का, धरम-धाम यो हरियाणा॥टेक॥

 
वो गाम पुराणे कडै़ गये - नरेन्द्र गुलिया

वो गाम पुराणे कडै़ गये, वो गाम पुराणे कड़ै गये
वो पहल्यां आली बात नहीं, सुखधाम पुराणे कडै़ गये
वो गाम पुराणे कडै़ गये, वो गाम पुराणे कड़ै गये !

 
भैंसों की मुख्य नस्लें -  रामप्रसाद भारती - म्हारा हरियाणा संकलन

मुर्रा

 
माटी का चूल्हा - जगबीर राठी

उसनै देख कै एक माँ का मन पसीज़ ग्या
जब मॉटी का चूल्हा मींह कै म्हाँ भीज़ ग्या

 
बता मेरे यार सुदामा रै - म्हारा हरियाणा संकलन

बता मेरे यार सुदामा रै, भाई घणे दिनां मै आया - 2
बाळक था रै जब आया करता, रोज़ खेल कै जाया करता - 2

 
दीवाळी - कवि नरसिंह

कात्तिक बदी अमावस थी और दिन था खास दीवाळी का-
आँख्याँ कै माँह आँसू आ-गे घर देख्या जब हाळी का॥

 
एक बख़त था... - सत्यवीर नाहड़िया

एक बख़त था, गाम नै माणस, राम बताया करते।
आपस म्हं था मेलजोल, सुख-दुख बतलाया करते।
माड़ी करता कार कोई तो, सब धमकाया करते।
ब्याह-ठीच्चे अर खेत-क्यार म्हं, हाथ बटाया करते।
इब बैरी होग्ये भाई-भाई, रोवै न्यूं महतारी।
पहलम आले गाम रहे ना, बात सुणो या म्हारी॥

 
मन डटदा कोन्या - म्हारा हरियाणा संकलन

मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मैं साइकल तो घुमाया करूं
एक मन कहै मोटर कार मैं चलाया करूं
रै मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मेरे पांच सात तो छोहरे हों
एक मन कहै सोना चांदी भी भतेरे हों
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा

 
किसान कहूं याकहूं मसीहा, पैगंबर अवतार तुझे  - दयानन्द देशवाल और धर्मपाल डूडी की कविता

किसान कहूं या कहूं मसीहा, पैगंबर अवतार ताऊ
त्याग दिया जीवन जनहित में भया परोपकार ताऊ
हरयाणा सिरसा जनपद में तेजा खेड़ा गाम सुनो
लेखराम सिहाग पिता जो असली था जाट किसान सुनो
२५ सितंबर १९१४ का ये ऐतिहासिक पैगाम सुनो
सूर्य समान ललाट लिया था, लाल हुआ सुख-धाम सुनो

 
हरियाणवी दोहे - श्याम सखा श्याम

मनै बावली मनचली,  कहवैं सारे लोग।
प्रेम प्रीत का लग गया, जिब तै मन म्हँ रोग॥

 
बाट | हरियाणवी गीत - श्रीकृष्ण गोतान मंजर

कोये ना कोये बात सै।
मेरी मायड़ जी हुलसावै॥

 
हरियाणा | हरियाणवी गीत  - श्रीकृष्ण गोतान मंजर

सब सै निराला हरियाणा
दूध घी का सै खाणा॥

 
हरियाणवी दोहे  - रोहित कुमार 'हैप्पी'
मोबाइल प लगा रहै, दिनभर करै चैबोळ। 
काम कदे करता नहीं, सै बेट्टा बंगलोळ॥ 
 
इतना सब कुछ लिख गए, दादा लखमीचंद।
'रोहित' लिक्खू बोल के, बचा कूंण सा छंद॥
 
देसी घी का नाम तो, भूल गए इब लोग।
इस पीढ़ी नै लागरे, पिज़ा-केक के रोग॥
 
गामा मैं बी ना दिखैं, कित्ते कोय चौपाळ।
इक-दूजे के फाड़ते, दिक्खते सारे बाळ॥
 
लाज-शरम की चिडीया, उड़गी बाब्बू दूर ।
वो भी तो लाचार सै, हम बी सै मजबूर॥
 
सारे एंडी पाक रे, कोई रया न घाट।
बेटे अपने बाप की, करैं खड़ी इब खाट॥

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 
ओ मेरी महबूबा | हास्य कविता - जैमिनी हरियाणवी | Jaimini Hariyanavi

ओ मेरी महबूबा, महबूबा-महबूबा
तू मन्नै ले डूबी, मैं तन्नै ले डूब्या।

मैं समझ गया तनै हिरणी,
फिर पीछा कर लिया तेरा, हाय करड़ाई का फेरा।
तू निकली मगर शेरणी, तनै खून पी लिया मेरा।
ओ मेरी महबूबा महबूबा
तू कर री ही-हू-हा, मैं कर बै-बू-बा।

कदे खेत में, कदे पणघट पै,
तनै खूब दिखाये जलवे, गामां में हो गे बलवे।
मेरे व्यर्थ में गोडे टूटे, जूतां के घिस गे तलवे।
ओर मेरी महबूबा, महबूबा-महबूबा
तू मेरे तै ऊबी, मैं तेरे तै ऊब्या।

कोय हो जो तनै पकड़ कै,
ब्याह मेरे तै करवा दे, म्हारी जोड़ी तुरत मिला दे।
मेरी गुस्सा भरी जवानी, तनै पूरा मजा चखा दे।
ओ मेरी महबूबा, महबूबा-महबूबा
फिर लुटै तेरी नगरी और लुटै मेरा सूबा।
ओ मेरी महबूबा.........................।

 
चोट इतनी... | हरियाणवी ग़ज़ल - कंवल हरियाणवी

चोट इतनी दिल पै खाई सै मनै,
दर्द की दुनिया बसाई सै मनै।

 
चाल-चलण के घटिया देखे | हरियाणवी ग़ज़ल - कंवल हरियाणवी

चाल-चलण के घटिया देखे बड़े-बड़े बड़बोल्ले लोग,
भारी भरकम दिक्खण आले थे भित्तर तै पोल्ले लोग।

 
हरियाणे का छौरा देख - रोहित कुमार 'हैप्पी'

हरियाणे का छौरा देख
लाम्बा, चौड़ा गौरा देख
...........हरियाणे का छौरा देख!

 
साजण तो परदेस बसै  - रोहित कुमार 'हैप्पी'

साजण तो परदेस बसै मैं सुरखी, बिंदी के लाऊं
सामण बी इब सुहावै ना, मैं झूला झूलण के जाऊं

 
आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल | हरियाणवी ग़ज़ल - रोहित कुमार 'हैप्पी'

आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल
लिकड़ चुकी सै कदकी रेल

 
बाजरे की रोटी - रोहित कुमार 'हैप्पी'

बाजरे की रोटी ना थ्यावै कदै साग
हो गै परदेसी जणूं फूट्टे म्हारे भाग

 
हरियाणे का नाम बणावैं - रोहित कुमार 'हैप्पी'

दूध-दहीं हम मक्खण खांवैं
हरियाणे का नाम बणावैं
हरियाणे का नाम बणावैं

 
फेर तो मैं सूं राजी... - रोहित कुमार 'हैप्पी'

एक मेरा यार जो होग्या तीस पार
उसकी माँ नै मेरीतै बुलाया, बोल्ली-
रै आपणे यार नै समझा ले, समझा इसनै अख शादी रचा ले।

 
लाड सै, दुलार सै--दोगाना - रोहित कुमार 'हैप्पी'

लाड सै, दुलार सै
आँखां के मैं प्यार सै
छोड़ मत जाइयै तू
तों ही घर बार सै!
.....लाड सै, दुलार सै
     आँखां के मैं प्यार सै!!

 
गेल चलुंगी, - चन्दरलाल

गेल चलुंगी, गेल चलुंगी, गेल चलुंगी
गेल चलुंगी, गेल चलुंगी, गेल चलुंगी

 
मिली अंधेरे नै सै छूट | हरियाणवी ग़ज़ल  - रिसाल जांगड़ा

मिली अंधेरे नै सै छूट
रह्या उजाले नै यू लूट

 
झूठा माणस मटक रह्या सै | हरियाणवी ग़ज़ल  - रिसाल जांगड़ा

झूठा माणस मटक रह्या सै,
सूली पै सच लटक रह्या सै ।

 
चल हाल रै उठ कै चाल... - रोहित कुमार 'हैप्पी'

चल हाल रै उठ कै चाल बड़ी सै दूर रै जाणा
उडै चाहे धूल
सै मंजल दूर
नहीं पर सै घबराणा
चल हाल रै उठ कै चाल बड़ी सै दूर रै जाणा

 
हुड्डा हो, चौटाला हो - रोहित कुमार 'हैप्पी'

हुड्डा हो, चौटाला हो
कदै न घोटाळा हो
हाँ, कदै न घोटाळा हो.....

 
री कितणी फोटो स्टेट सै | हरियाणवी ग़ज़ल - विनोद मैहरा बेचैन

तेरी कितणी फोटो स्टेट सै इस धरती पै गिणा दे
तू रहवे सै किस जगह ओये भगवान पर्दा उठा दे

यो तेरा भगत तो तेरी छवि कई शक्ल में देखे सै
किसा गडबड घोटाला सै तू यो मामला सुलझा दे

बस इतणा ए कहूँगा साफ सुथरी महोब्बत करणीये
दिल के दरवाजे पै कोए अडंगा पड़ा सै तो ठा दे

मेरी बेईज्जती करके शायद उतर जावे कर्ज़ तेरा
तैंने जितने भी अहसान करे सै महफ़िल में गा दे

सर पैरा में धर के और हाथ जोडके रिक्वेस्ट सै
जो तेरे बस का नही सै मैंने वो लाहरसा ऩा दे

वो रोटी खाते टैम न्यू याद करया जणू पितर हो
तकलीफ किसने ज्यादा सही मैंने तू इश्क बता दे

साँस आखरी लेवेगा उस टाइम यो दोस्त बेचैन
तैंने छोड़ जिसपे वजूद गिरवी सै स्यामी ल्या दे

 
लगा बुढेरा एक बताण - रोहित कुमार 'हैप्पी'

लगा बुढेरा एक बताण
आपस मै ना करो दुकाण
लगा बुढेरा एक बताण......

 
मुर्रा नस्ल की भैंस | कविता - संदीप कंवल भुरटाना

म्हारे हरियाणे की या आन-बान-शान सै।
मुर्रा नस्ल की झोटी का जग म्हं नाम सै ।।

मुर्रा नस्ल की भैंस म्हारी बाल्टा दूध का ठोकै सै,
म्हारे गाबरू इस दूध नै किलो-किलो झौके सै,
खल-बिनौला गैल्या, खावै काजू-बदाम सै
मुर्रा नस्ल की झोटी का जग म्हं नाम सै ।।

ढाई लाख की झौटी बेच के कर दिया कमाल,
गरीब किसान था भाइयो इब होग्या मालामाल,
जमींदार खातर या भैंस, सोने की खान सैै।
मुर्रा नस्ल की झोटी का जग म्हं नाम सै ।।

पाणी का दूध बिकै शहर म्हं हालात माडे़ होरे सैं,
समोसे बरगी छोरी सै औडे, सिगरेट बरगे छोरे सैं,
घणे पतले होरे सैं वें, गोड्या म्हं उनके जान सै,
मुर्रा नस्ल की झोटी का जग म्हं नाम सै ।।

चलाके मोटर भैंस नुवांवा, भाई तारा कमाल सै,
संदीप कंवल भुरटाणे आला, राखै देखभाल सै,
म्हारी खारकी झोटी पै पूरे गाम नै मान सै।
म्हारे हरियाणे की या आन-बान-शान सै।
मुर्रा नस्ल की झोटी का जग म्हं नाम सै ।।

 
मन्नै छोड कै ना जाइए | कविता - संदीप कंवल भुरटाना

मन्नै छोड कै ना जाइए,
मेरे रजकै लाड़ लड़ाइए,
अर मन्नै इसी जगां ब्याइए,
जड़ै क्याकैं का दुख ना हो।

छिक के रोटी खाइए,
अर मन्नै भी खुवाइए,,
जो चाहवै वो ए पाइए,
पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए,
जड़ै क्याकैं का सुख ना हो।

माँ तेरे पै ए आस सै,
पक्का ए विश्वास सै,
तू ए तो मेरी खास सै,
यो खास काम करके दिखाइए।

माँ की मैं दुलारी सुं,
ब्होत ए घणी प्यारी सुं,
दिल तैं भी सारी सुं,
पर कदे दिल ना दुखाइए।

बाबु का काम करणा,
रूपए जमा करके धरणा,
इन बिना कती ना सरणा,
काम चला कै दिखाइए।

गरीबी तै तनै लड़-लड़कै,
रातां नै खेतां म्हं पड़-पड़कै,
अपणे हक खातर अड़-अड़कै,
बाबु ब्होत ए धन कमाइए,
पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए
जडै क्याएं का सुख ना हो।

माँ-बाबु तामै मन्नै पालण आले,
मेरे तो ताम आखर तक रूखाले,
वे इबे मन्नै ना सै देखे भाले,
कदे होज्या काच्ची उम्र म्हं चालै,
'संदीप भुरटाणे' आले मन नै समझाइए,
पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए,
जडै क्याएं का सुख ना हो।

-संदीप कंवल भुरटाना

 
बुढ़ापा बैरी आग्या इब यो | कविता - संदीप कंवल भुरटाना

बुढ़ापा बैरी आग्या इब यो, रही वा जकड़ कोन्या।
छाती तान के चाला करता, रही वा अकड़ कोन्या।।

जवानी टेम यो खेत म्हं हाली, रहया था पूरे रंग म्हं,
आंदी रोटी दोपहर कै म्हं, खाया ताई के बैठ संग म्ह,
सूखा पेड़ की ढाला यो इब, रही वा लकड़ कोन्या।
छाती तान के चाला करता, रही वा अकड़ कोन्या।।

बेटां नै घर तै काढ दिया, लेग्ये जमीन धोखे म्हं,
हरा-भरा घर उजड़गा, बिन पाणी के सोके म्हं,
करड़ा घाम गेर दिया रै, रहा वा इब झड़ कोन्या
छाती तान के चाला करता, रही वा अकड़ कोन्या।।

आज का बख्त इतना करड़ा कर दिये लाचार तनै,
बुढापा की मार इसी मारदी, कर दिये बीमार तनै,
रंग रूप सब बदल दिया, रही वा धड कोन्या
छाती तान के चाला करता, रही वा अकड़ कोन्या।।

कह संदीप कंवल भुरटाणे आला, बूढां नै ना सताईयो रै,
अपणे मात-पिता की सेवा करियो, दूध ना लज्जाईयो रै
धूजण लागै हाथ मेरे इब, रही वा पकड़ कोन्या।
छाती तान के चाला करता, रही वा अकड़ कोन्या।।

- संदीप कंवल भुरटाना

 
हरियाणा राज्य गीत - नरेश कुमार शर्मा

हेरै मिली नई-नई सौगात हुआ रोशन म्हारा हरियाणा ।

सारे हक रखे सर्वोपरि उन्नत हुआ किसान म्हारा ।
स्वास्थय की सोच निराली उत्तम है संस्कार म्हारा ।
इब हो लिया आत्मसात आया है समय सुहाणा ।
हेरै मिली नई-नई सौगात........

 
लियो झलक देख हरियाणे की - नरेश कुमार शर्मा

राज्य गीत के माध्यम से लियो झलक देख हरियाणे की।
नई-नई चली स्कीम योजना कोन्या बात बहकाणे की।
नीयती नेक चला राखी सै राज्य के म्हा हुआ विकास।
सूचना प्रौद्योगिकी के कारण चारों तरफ हुआ प्रकाश।
स्वस्थ-स्वच्छ अभियान के जरिये गई श्यान बदल हरियाणे की।
नई-नई चली स्कीम योजना................

 
अलबेली छोरी  - नरेश कुमार शर्मा

मै अलबेली छोरी मेरी मटकै पोरी-पोरी, मैं मस्त छबीली नार। ।टेक।

 
शर्म लाज कति तार बगायी - जितेंद्र दहिया

शर्म लाज कति तार बगायी या माहरे हरयाने मे किसी तरक्की आयी...!

 
बचपन का टेम - जितेंद्र दहिया

बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया करते,
आलस का कोए काम ना था भाजे भाजे हांड्या करते ।

 
बचपन - विरेन सांवङिया

प्यारे थे बचपन के साथी
एक तै बढकै एक हिमाती
चिजै खाण नै सारे डाकी
धोरै रूपली किसे कै नै पाती

 
नारी सौंदर्य - विरेन सांवङिया

कोमल बदनी, रात रजनी वा चालै चाल बच्छेरी के सी
भेष दमकता, रूप चमकता ऊठै लहर लच्छेरी के सी
रंग हरे मै गौरा गात जणू पङा दूब पै पाला
मुखङा दमक दामनी सा जणू कर रा चाँद ऊजाला
जोबन ऊमङै घटा की ढाला जणूँ पुष्प सुगंधी आला
रूप हुस्न के लागै झोके व करै ज्यान का गाला
चम-2 चम-2 चमके लागैं जैसे माता बैठी बेरी के सी
कोमल बदनी, रात रजनी वा............

 

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