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हरियाणवी ग़ज़लें
एक अच्छी परिपूर्ण ग़ज़ल कहने के लिये ग़ज़ल की कुछ आधार बातें समझना जरूरी है जो संक्षिप्त में इस प्रकार हैं - ग़ज़ल- एक पूर्ण ग़ज़ल में मत्ला, मक्ता और 5 से 11 शेर (बहुवचन अशआर) प्रचलन में हैं। यहाँ यह भी समझ लेना जरूरी है कि यदि किसी ग़ज़ल में सभी शेर एक ही विषय की निरंतरता रखते हों तो एक विशेष प्रकार की ग़ज़ल बनती है जिसे मुसल्सल ग़ज़ल कहते हैं हालॉंकि प्रचलन गैर-मुसल्सल ग़ज़ल का ही अधिक है जिसमें हर शेर स्वतंत्र विषय पर होता है।
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क्यूँ अपणे हाथों भाइयाँ का लहू बहावै सै - सतपाल स्नेही |
क्यूँ अपणे हाथों भाइयाँ का लहू बहावै सै |
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चोट इतनी... | हरियाणवी ग़ज़ल - कंवल हरियाणवी |
चोट इतनी दिल पै खाई सै मनै, |
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चाल-चलण के घटिया देखे | हरियाणवी ग़ज़ल - कंवल हरियाणवी |
चाल-चलण के घटिया देखे बड़े-बड़े बड़बोल्ले लोग, |
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आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल | हरियाणवी ग़ज़ल - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
आग्या मिल गय्या तन्नैं बेल |
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गेल चलुंगी, - चन्दरलाल |
गेल चलुंगी, गेल चलुंगी, गेल चलुंगी |
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मिली अंधेरे नै सै छूट | हरियाणवी ग़ज़ल - रिसाल जांगड़ा |
मिली अंधेरे नै सै छूट |
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झूठा माणस मटक रह्या सै | हरियाणवी ग़ज़ल - रिसाल जांगड़ा |
झूठा माणस मटक रह्या सै, |
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री कितणी फोटो स्टेट सै | हरियाणवी ग़ज़ल - विनोद मैहरा बेचैन |
तेरी कितणी फोटो स्टेट सै इस धरती पै गिणा दे |
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