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विरेन सांवङिया
विरेन सांवङिया | Sanwariya Viren
Author's Collection
Total Number Of Record :2बचपन
प्यारे थे बचपन के साथी
एक तै बढकै एक हिमाती
चिजै खाण नै सारे डाकी
धोरै रूपली किसे कै नै पाती
दैख कै बांदर फैंकते चिजै
दिखा ठोसा फेर काढते खिजै
कैट्ठे होकै घणे खेले खेल
पकङ कै बुर्सट बना दी रेल
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नारी सौंदर्य
कोमल बदनी, रात रजनी वा चालै चाल बच्छेरी के सी
भेष दमकता, रूप चमकता ऊठै लहर लच्छेरी के सी
रंग हरे मै गौरा गात जणू पङा दूब पै पाला
मुखङा दमक दामनी सा जणू कर रा चाँद ऊजाला
जोबन ऊमङै घटा की ढाला जणूँ पुष्प सुगंधी आला
रूप हुस्न के लागै झोके व करै ज्यान का गाला
चम-2 चम-2 चमके लागैं जैसे माता बैठी बेरी के सी
कोमल बदनी, रात रजनी वा............
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