जैमिनी हरियाणवी | Jaimini Hariyanavi

जैमिनी हरियाणवी का 5 सितम्बर, 1931 को जन्माष्टमी के दिन हरियाणा के बादली गाँव (जिला झज्जर) में हुआ। इसी शुभ तिथि को देशवासी ‘शिक्षक दिवस' के रूप में मनाते हैं। जैमिनी हरियाणवी का वास्तविक नाम देवकी नन्दन जैमिनी है।

जैमिनी हरियाणवी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से राजनीति शास्त्र में एम.ए. के अतिरिक्त बी. टी की। ये दिल्ली के राजकीय विद्यालयों से उपप्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृति हुए थे। जैमिनी हरियाणवी हिंदी हास्य-काव्य के सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं।

जैमिनी हरियाणवी का हिंदी मंच पर हरियाणवी भाषा को स्थापित करने में बहुत योगदान रहा है। उनकी बहुचर्चित रचना 'टी०वी० और बीवी' ने उनको एक नई पहचान दी थी। प्रसिद्ध हास्य कवि अरुण जैमिनी हास्य कवि जैमिनी हरियाणवी के सुपुत्र हैं।

सुप्रसिद्ध हास्य कवि जैमिनी हरियाणवी का 6 फरवरी 2019 को निधन हो गया।

 

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गोरी म्हारे गाम | कविता

गोरी म्हारे गाम की चाली छम-छम।
गलियारा भी कांप गया मर गए हम।।

आगरे का घाघरा गोड्या नै भेड़ै
चण्डीगढ़ की चूनरी गालां नै छेड़ै
जयपुर की जूतियां का पैरां पै जुलम
गलियारा भी....................।

बोरला बाजूबन्द हार सज रह्या
हथनी-सी चाल पै नाड़ा बज रह्या
बोल रहे बिछुए, दम मारो दम
गलियारा भी...................।

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ओ मेरी महबूबा | हास्य कविता

ओ मेरी महबूबा, महबूबा-महबूबा
तू मन्नै ले डूबी, मैं तन्नै ले डूब्या।

मैं समझ गया तनै हिरणी,
फिर पीछा कर लिया तेरा, हाय करड़ाई का फेरा।
तू निकली मगर शेरणी, तनै खून पी लिया मेरा।
ओ मेरी महबूबा महबूबा
तू कर री ही-हू-हा, मैं कर बै-बू-बा।

कदे खेत में, कदे पणघट पै,
तनै खूब दिखाये जलवे, गामां में हो गे बलवे।
मेरे व्यर्थ में गोडे टूटे, जूतां के घिस गे तलवे।
ओर मेरी महबूबा, महबूबा-महबूबा
तू मेरे तै ऊबी, मैं तेरे तै ऊब्या।

कोय हो जो तनै पकड़ कै,
ब्याह मेरे तै करवा दे, म्हारी जोड़ी तुरत मिला दे।
मेरी गुस्सा भरी जवानी, तनै पूरा मजा चखा दे।
ओ मेरी महबूबा, महबूबा-महबूबा
फिर लुटै तेरी नगरी और लुटै मेरा सूबा।
ओ मेरी महबूबा.........................।

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