कवि नरसिंह

हरियाणा की भूमि ने अनेक महान कवियों को जन्म दिया है, जिनकी रागनियाँ एवं भजन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं। झज्जर जिले के भापड़ौदा गांव के आर्य समाज प्रचारक नरसिंह (1940-1970) हरियाणा क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध थे। उन्हें 'नरसिंह भजनी' के नाम से जाना जाता था। 

जवाहरलाल नेहरू व पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के साथ 1962 में एक डिग्री कॉलेज की आधारशिला रखने के लिए झज्जर गए थे तो सार्वजनिक समारोह में नरसिंह ने अपनी प्रसिद्ध रागनी 'घर देख्या जिब हाळी का' गाई। नेहरू जी इनकी रागनी से अत्यधिक प्रभावित हुए हालांकि वे स्थानीय बोली समझ नहीं सकते थे।

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दीवाळी

कात्तिक बदी अमावस थी और दिन था खास दीवाळी का-
आँख्याँ कै माँह आँसू आ-गे घर देख्या जब हाळी का॥

कितै बणैं थी खीर, कितै हलवे की खुशबू ऊठ रही--
हाळी की बहू एक कूण मैं खड़ी बाजरा कूट रही।
हाळी नै ली खाट बिछा, वा पैत्याँ कानी तैं टूट रही--
भर कै हुक्का बैठ गया वो, चिलम तळे तैं फूट रही॥

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