जय जय जय हरियाणा, जय जय जय हरियाणा
पावन धरती वेदों की, जहां हुआ हरि का आणा
जय जय जय हरियाणा, जय जय जय हरियाणा।
गीता ज्ञान धरोहर इसकी, महाभारत इतिहास
मुकुट शिवालिक आधार अरावली, यमुना बहती पास
मौज मनावे, कातक न्हावे, पूरी मन की आस
सरस्वती के अमृत रस का, यहीं सदा है वास
सादा जीवन, सादा बाणा, दूध दही का खाणा।
जय जय जय हरियाणा, जय जय जय हरियाणा॥
छैल छबीले, मर्द निराले, सुंदर स्याणी नार
होली, दिवाली, ईद, गुरपुरब, मनते तीज त्योहार
भाईचारा जग से न्यारा, बढ़े प्यार में प्यार
दिन दुगनी, अर रात चौगुनी, शिक्षा और व्यापार
बजते डेरू, ढोल, नगाड़े, सांग, रागनी गाणा।
जय जय जय हरियाणा, जय जय जय हरियाणा॥
उपजाते हैं फसल सुनहरी, खेतों बीच किसान
खेल खिलाड़ी मेडल लाकर करें देश का मान
सीमाओं पर हरदम चौकस यहां के वीर जवान
छोटा सा प्रदेश, देश की अजब निराली शान
'अतिथि देवो भव' यहां सेवा धर्म निभाणा।
जय जय जय हरियाणा, जय जय जय हरियाणा॥
-डॉ बालकिशन शर्मा
टिप्पणी : इस गीत को डॉ बालकिशन शर्मा ने लिखा है और डॉ. श्याम शर्मा ने गाया है। इस गीत के संगीतकार पारस चोपड़ा है और रोहतक की मालविका पंडित ने इसका निर्देशन किया है। यह ‘राज्य गीत’ 28 मार्च 2025 को सर्वसम्मति से हरियाणा विधानसभा के सदन में पारित हुआ।
इस गीत में एक पंक्ति विशेष रूप से परिवर्तित की गई है, यह पंक्ति थी-- "छैल छबीले, मर्द निराले, सुंदर गौरी नार। इसे परिवर्तित करके 'छैल छबीले, मर्द निराले, सुंदर स्याणी नार' किया गया।