किसान कहूं याकहूं मसीहा, पैगंबर अवतार तुझे  (काव्य)

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Author: दयानन्द देशवाल और धर्मपाल डूडी की कविता

किसान कहूं या कहूं मसीहा, पैगंबर अवतार ताऊ
त्याग दिया जीवन जनहित में भया परोपकार ताऊ
हरयाणा सिरसा जनपद में तेजा खेड़ा गाम सुनो
लेखराम सिहाग पिता जो असली था जाट किसान सुनो
२५ सितंबर १९१४ का ये ऐतिहासिक पैगाम सुनो
सूर्य समान ललाट लिया था, लाल हुआ सुख-धाम सुनो

भगवान कृपा खुशी छाई, दिया देवालाल करतार मुझे
किसान कहूं या कहूं मसीहा, पैगंबर अवतार तुझे
जागीरदार पिता के ठाठ बड़े, था समृद्ध परिवार बड़ा
बड़े भाई थे साहिबसिंह जी, हरदम साया बना रहा
निकट गाम चौटाला में बसने का था जोश चढ़ा
प्रथम स्कूल गाम दवावाळी - मोगा में था पढ़ा
कुश्ती लड़ी, पहलवानी की - ना भाती थी ललकार तुझे
किसान कहूं या कहूं मसीहा, पैगंबर अवतार तुझे
राजनीति का कुशल खिलाड़ी, था असली जाट संस्कारों का
मजदूर किसानों का रक्षक, वो था आजाद विचारों का
गांधीवाद नीति हृदय में, था दुश्मन मक्कारों का
प्रधानमंत्री पद ठुकराया, था त्यागी टकसालों का

गांधी पिता नेहरू चाचा - दिया ताऊ का पदभार तुझे
किसान कहूं या कहूं मसीहा, पैगंबर अवतार तुझे

उपप्रधानमंत्री, कृषिमंत्री बनकर देश संभाला था
मुख्यमंत्री, अध्यक्षों के पद का पिया प्याला था
मस्तिष्क रहा हमेशा ऊंचा, नहीं कपट-छल पाला था
इसीलिए सच्चे अर्थों में सियासत का रखवाला था
शोकमग्न हो धर्मपाल भी करता दिल से प्रणाम तुझे
जाट समाज की सेवा करूंगा, देना खुश हो आशीर्वाद मुझे
युगों-युगों तक याद करेंगे गरीब मजदूर किसान तुझे
किसान कहूं या कहूं मसीहा, पैगंबर अवतार तुझे

--दयानन्द देशवाल और धर्मपाल डूडी
  साभार - जाटलैंड डोट कॉम

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