हरियाणवी लोक गीतों में गाँधी | लोकगीत (साहित्य)    Print this  
Author:म्हारा हरियाणा संकलन

देस के हो रे थे बारां बाट।
बणिया, बाह्मण अर कोई जाट॥

अर था कोई अछूत कहलाया।
बाब्बू का दिल था भर आया॥

बाब्बू नै मिटाई छूआछात।
सब सैं भारत माँ के पूत॥

Previous Page  |   Next Page

सब्स्क्रिप्शन

ताऊ बोल्या

Mhara haryana

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें