हरिहर की धरती हरियाणा - रथुनाथ प्रियदर्शी (काव्य)    Print this  
Author:म्हारा हरियाणा संकलन

सबका प्यारा, सब तैं न्यारा, 'हरिहर' की धरती हरियाणा। 
तीरथ-मेले-धरोवरों का, धरम-धाम यो हरियाणा॥टेक॥

'हरिहर' की धरती की महमा, वेद -पुराणों मैं गाई।
गौरव-गाथा हतिहासों कैं, स्वर्ण--अक्षरों मैं छाई॥
आर्यवर्त, ब्रह्मवर्त, सारस्वत, नामा तैं सब नैं भाया।
'हरि' का 'यान' उरै आणै तैं, 'हरियाणा' यो कहलाया॥
'सप्तसिंधु ' का देस कदीमा, ब्होत पुराणा हरियाणा।
सब का प्यारा, सब तैं न्यारा, 'हरिहर'-धरती हरियाणा॥1॥

घाग्गर, जमना, सरस्वती की, बहवैं पावन जलधारा। 
ऋषि-मुनियों की तपोभूमि सब, देव-देवियों का प्यारा॥
सरिस्टी रचना खातर आड़ै, 'ब्रह्मा' नै था यज्ञ किया।
श्रीकृष्ण नै कुरुक्षेत्र मैं, गीता का उपदेस दिया॥
'महाभारत' का धर्म युद्ध यो, जीत्तण वाला हरियाणा।
सब का प्यारा, सब तै न्यारा, 'हरिहर'-धरती हरियाणा॥2॥

कदम-कदम पै धरम-थलों मैं, सद्भावों की ज्योत जली। 
संत-फकीरों, सतगुरुओं कै परमारथ की खिली कली॥
कुरुक्षेत्र, थानेसर, पेहवा, संकटमोचन धाम बणे।
हिसार, भिवानी, हांसी बरगे, धरोहरों के नाम घणे॥ 
पुण्य-तीर्थो, मेलों कारण, रोशन जग मैं हरियाणा।
तीरथ-मेले-धरोहरों का, धरम-धाम यो हरियाणा॥3॥

ज्यब-ज्यब इसपै आफत आयी, जंग लड़े रणधीरों नै।
धूल चटा जीते दुश्मन तैं, योधेय, भरत से वीरों नैं॥
स्वतंत्रता-संग्राम लड्या था, जनता, वीर जवानों नै।
कुर्बानी दे-दे चमकाया, देस सदा दीवानों नै॥
देस प्रेम मैं सब तैं आग्गै, सदा रह्या यो हरियाणा।
सब का प्यारा सब तैं न्यारा, 'हरिहर की धरती हरियाणा॥4॥

आओ! मिलजुल सारे इसनै, ऊंचा देस बणा देवां।
ऊंच-नीच के, जात-पात के, चुकती भेद भुला देवां॥
हरे-भरे बन-खेता तैं यो, 'बहु धान्यक' फिर कहलावै।
च्यारूं तरफ विकास तैं इसकी, ख्याती-गिणती हो ज्यावै॥
देसा मैं यो देस निराला, बणज्या म्हारा हरियाणा।
सब का प्यारा, सब तैं न्यास 'हरिहर की धरती हरियाणा॥5॥

-रथुनाथ प्रियदर्शी
 सम्पर्क : 354,3, पाँवर कालोनी, इंडस्टियल एरिया,
 फेज-2, पंचकूला- 124113 (हरियाणा)

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