अलबेली छोरी  (काव्य)    Print this  
Author:नरेश कुमार शर्मा

मै अलबेली छोरी मेरी मटकै पोरी-पोरी, मैं मस्त छबीली नार। ।टेक।

मेरी पायल छन-छन छनकै।
पग घुंघरू खन-खन खनकै।
किसी उठै सै झनकार।
मैं मस्त छबीली नार...................

मैं आजाद फिरू सु।
किसे तै नहीं डरू सु।
चाहे हो कोए थानेदार।
मैं मस्त छबीली नार..................

सारे गाम की करू घुमाई।
करती अपणे मन की चाई।
मै तो नाचू सरे बजार।
मैं मस्त छबीली नार.......................

मै तो जवान भूतनी।
देशां की फिरू उतनी।
मेरी चली सारे कै तकरार।
मैं मस्त छबीली नार...................

नरेश ध्यान मैं धरलु जिस पै।
अपणा काबू करलु उस पै।
उसकी नहीं बसावै पार।
मैं मस्त छबीली नार...................

-नरेश कुमार शर्मा
गांव-अजायब, जिला रोहतक, हरियाणा
मो0 9813921371

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