परीक्षित और कलियुग | रागणी

 (साहित्य) 
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रचनाकार:

 पं लखमीचंद | Pt Lakhami Chand

कहते हैं कि युधिष्ठिर के पोते परीक्षित के बाद कलियुग आरंभ हो गया था। प्रस्तुत है परीक्षित और कलियुग की बातचीत (दादा लखमीचंद की वाणी से)

कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥

सोने कै काई ला दूंगा, आंच साच पै कर दूंगा--
वेद-शास्त्र उपनिषदां नै मैं सतयुग खातिर धर दूंगा।
असली माणस छोडूं कोन्या, सारे गुंडे भर दूंगा--
साच बोलणियां माणस की मैं रे-रे-माटी कर दूंगा।

धड़ तैं सीस कतर दूंगा, मेरे सिर पै छत्र-छाया।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥

मेरे राज मैं मौज करैंगे ठग डाकू चोर लुटेरे--
ले-कै दें ना, कर-कै खां ना, ऐसे सेवक मेरे।
सही माणस कदे ना पावै, कर दूं ऊजड़-डेरे--
पापी माणस की अर्थी पै जावैंगे फूल बिखेरे॥

ऐसे चक्कर चालैं मेरे मैं कर दूं मन का चाहया।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥

-पंडित लखमीचंद

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