लेणा एक ना देणे दो

 (साहित्य) 
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रचनाकार:

 पं लखमीचंद | Pt Lakhami Chand

लेणा एक ना देणे दो, दिलदार बणे हांडै सैं।
मन म्हं घुण्डी रहै पाप की, यार बणें हांडै सै॥
नई-नई यारी लगै प्यारी, दोष पाछले ढक ले।
मतलब खात्यर यार बणैं, फेर थोड़े दिन म्हं छिक ले।
नहीं जाणते फर्ज यार का, पाप कर्म म्हं पक ले।
कै तै खा ज्यां माल यार का, या बहू बाहण नै तक ले।
करै बहाना यारी का, इसे यार बणें हांडै सैं॥

मतलब कारण बड़ै पेट म्हं, करकै नै धिगताणा।
गर्ज लिकडज्या पास पकड़ज्या, करै सारे कै बिसराणा।
सारी दुनिया कय्हा करै, करै यार यार नै स्याणा।
उसे हांडी म्हं छेक करैं, अर उसे हांडी म्हं खाणा।
विश्वासघात करैं प्यारे तै, इसे यार बणें हांडै सैं॥

यारी हो सै प्याऊ केसी, हो कोए नीर भरणियां।
एक दिल तै दो दिल करवादे, करकै जबान फिरणियां।
यार सुदामा का कृष्ण था, टोटा दूर करणियां।
महाराजा को कर्ज दिया था,भामाशाह था बाणियां।
आज टूम धरा कै कर्जा दें, इसे साहुकार बणे हांडै सैं।
प्यारे गैल्यां दगा करे का, हो सब तै बती घा सै।
जो ले कै कर्जा तुरत नाटज्या औ बिना औलादा जा सै।
पढे-लिक्खे अर भाव बिना, मन्नै छंद का बेरा ना सै।
पर गावण और बजावण का मन्नै बालकपण तै चा सै।
इब तेरे कैसे 'लखमीचन्द' बणें हांडै सैं॥

-पं लखमीचन्द

 

 

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