मैं तो गोरी-गोरी नार | लोकगीत

 (साहित्य) 
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रचनाकार:

 म्हारा हरियाणा संकलन

मैं तो गोरी-गोरी नार, बालम काला-काला री!
मेरे जेठा की बरिये, सासड़ के खाया था री?

तेरे जेठा की बरिये मन्नै बरफी खाई री।

वा तो बरफियां की मार जिबे धोला-धोला री!
मेरे देवर की बरिये, सासड़ के खाया था री?

तेरे देवर के बरिये मन्नै लाडू खाये री।

वा तो लाडुआँ की मार जिबे पीला-पीला री!
मेरे बालम की बरिये, सासड़ के खाया था री?

तेरे बॉलम की बरिये मन्नै जामण खाये री।

वा तो जामणा की मार जिबे काला-काला री!
मैं तो गोरी-गोरी नार, बालम काला-काला री!!
....................मैं तो गोरी-गोरी नार, बालम काला-काला री!!

रचनाकार - अज्ञात
प्रेषक - आरती शर्मा

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