माटी का चूल्हा

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 जगबीर राठी

उसनै देख कै एक माँ का मन पसीज़ ग्या
जब मॉटी का चूल्हा मींह कै म्हाँ भीज़ ग्या

चूल्हा वो माटी-गार का
सारे कूणबे के प्यार का

सीली बॉल छणया करती
सारयाँ की रोटी बणया करती

धोरै धरया रहता एक पलॅवा
कदे पूरी अर कदे हलवा

गुलगुले, पूड़े, कदे राबड़ी
आग तै पकी मॉटी की पापड़ी

माँ ने एक सताया करता
जब लुक-लुक कै नै खाया करता

सारे भाइयों का कट्ठा परोसा
जब एक की टिण्डी दूसरे ने खोसया

राम की थाली, लछमण का टूक
पेट सबके न्यारे, साझली सबकी भूख़

माँ जब लाकड़ी सहलाया करती
चूल्हे की आग भी बतलावा करती

बाबू भी तो उड़ै खाया करता
दुःख-सुख की बतलाया करता

चाहे घर हो, चाहे हो गमीणे की तैयारी
उस चूल्हे की थी हर जगहाँ भागीदारी

चूल्हे की आग जब फड़फड़ाया करती
कोय करै सै चुगली थारी उननैं बताया करती

पर उसनै कदे कराई जग-हंसाई ना
घर का हो या बाहर का, काची रोटी खुवाई ना

भाईयाँ मैं तैं सारे-ए तो पढ़गे
कुछ नौकरी लागगे, कुछ जहाजाँ में चढ़गे

खुशियाँ मैं बंडवारा बंड़ग्या
घर का चूल्हा एकला पड़ग्या

चूल्हे की कायां झरण लाग गी
बस चार-ए रोटी बणन लाग गी
दो बूढ़े की, एक बूढ़िया की,
अर एक बारणै बैठी कुतिया की

फेर एक दिन घराँ छोरा आया
चूल्हे नै दुःख मोटा आया

बोल्या, माँ क्यूँ धूम्में मैं आँख फुड़ानै सै,
सारी दुनिया गैस पर रोटी बणावै सै

थारै ख़ातर यू लोह का चूल्हा ल्याया,
सिलैण्डर भी सै सिफारसां तै पाय्या

धूम्मैं तै पाण्डा छुटाओ
इसपै थाम रोटी बणाओ

माँ नै, ना था उसका बेरया
स्टील कै चूल्है पै हाथ फेरया

मेरे मन की बात छिपै कोन्या
तेरा यू चूल्हा तो गार तै लिपै कोन्या

इसनै ठाये-ठाये कित हांडूंगी
ना इसकै नयन, ना नक्श, कित मैं पलवा टांगूंगी

फूक देगा सुवाहली, अर कॉची राखैगा राबड़ी
इसके लोह के तन पै तै, कोन्या उतरै मॉटी की पापड़ी

छोरे, जै मेरा सुख चाहवै सै, तो बताइये
एक बै मेरे धोरै सारे भाईयाँ नै लाइये

साच कहूँ सूँ बेटा, मैं फूल्ली नही समाऊँगी
सारै जणया नै आपणै हाथ तैं पो कै खुआऊँगी

छोरा ना मान्या, जूल्म करग्या
मॉटी कै चूल्हे नै छत पै धरग्या

माँ के दुःखदे गोड्डे छत पै चढ़ते नही
छोरे भी आ कै माँ का दुःख आँख्यॉ कैं पढ़ते नही

बूढ़ी उम्मीद इब गोबर और गॉरा ल्यावै सै
आच्छा-सा घोल बणा कै छात काहनी लखावै सै

जब भी बरसै सै मींह, चूल्हा खुले मैं भीजै सै
अर एक माँ का दिल बार-बार पसीजै सै
अर एक माँ का दिल बार-बार पसीजै सै

--जगबीर राठी

Back

सब्स्क्रिप्शन

ताऊ बोल्या

Mhara haryana

हमारी अन्य वेब साइट्स