भैंसों की मुख्य नस्लें -  रामप्रसाद भारती

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 म्हारा हरियाणा संकलन

मुर्रा

मुर्रा के मुंह कान पर, होय सुनहरे बाल
सींग, मुडे़मा होयंगे देखो छल्ले चार।
देखो छल्लेदार होय यह रंग की कारी
छोटा मुख और कान पिछाई होये भारी।।
कहे भारती सत्य पूंछ को भूरा झुर्रा
उत्तर भारत की नस्ल दुधारू निकले मुर्रा।।


जाफरावादी

भारी ढीला हो बदन उभरो होय ललाट
विकसित पूरे अयन की करे दूध में ठाठ।
करे दूध में ठाठ बहुत ही खाये चारा
मिले कठियावाड़ क्षेत्र गिर जंगल सारा।
बड़े किच्च से सींग भारती रंग की कारी
होय जाफरावादी सीस गरदन हो भारी।


नीली रावी

धारी चेहरे पर मिले होय निलम्बी कान
मांट मोगर्रा में मिले फाजिल्खां मुल्तान।
फाजिल्खां मुल्तान बीच उत्तल के रेखा
नीचे धसो ललाट भोरी नीली का देखा।
छोटे-मोटे सींग भारती भूरी कारी
मध्यम कद अति दूध मिले पैरों पर धारी।


मेहसाना

पायी मेहसाना गयी पाटन कांठी कैल
भोरी दुधारू पालते बीजापुर के छैल।
बीजापुर के छैल भारती मुहरा चौड़ा
दोनों नथुने खुले सींग हंसिया का जोड़ा। 
मध्यम कद की भोरी मिलेगी रंग से काली
लम्बी गरदन होय दूध हित जाये पाली।


भदावरी

छोटा मुख हो भारती कान खुरदरे संग
घी में निकले श्रेष्ठ ये तांबे जैसा रंग।
तांबे जैसा रंग बाह की भोरी गठीली
लम्बी पतली पूंछ भैंसि की मिले लचीली।
होय कि श्याम से सींग औसतन होवे मोटा
मध्यम कद की भैंसि अयन होता है छोटा।

 
नागपुरी

छोटी काया भारती काला रंग विचित्र
नागपुरी को देखिये नागपुर में मित्र।
नागपुर में मित्र जाय वरदा में पाली
भूरे धब्बेदार टांग मुख पूंछ निराली।
चपटे लम्बे सींग दूध में पायी खोटी
लम्बा चेहरा गला पूंछ होती है छोटी।


टोडा

पाई ऊटी भारती लम्बा होय शरीर
चेहरा गरदन भाल पर काली मिले लकीर।
काली मिले लकीर होय सिर इसका भारी।
मिलते वीणाकार सींग की महिमा न्यारी।
भूरो धूसर रंग दूध कम लेकर आयी
भूरे रंग की दो फीत गले टोडा के पायी।


- रामप्रसाद भारती
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा

साभार- दुग्ध-गंगा, २०१०-२०११

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