कोये ना कोये बात सै। मेरी मायड़ जी हुलसावै॥
खड़ी धूप मैं बाल सँवारूँ-काग मँडेरै बोलै किसकी याद दुवावै बैरी-कुण आवै जी डोलै करै क्यूँ उत्पात सै -1
चिडी रेत मैं मलमल न्हावै-फुदकै भरै उडारी श्याम घटा में बिजली चमकै-चालै परवा प्यारी आवण नैं बरसात सै -2
रात चाँदनी जब जाकर मैं खटिया पर अलसाई कदे छुपै कदे लिकडै चन्दा कर रहा आँख मिचाई लगावै बैरी घात सै -3
मेरी हथेली पडी खुजावै आवैगा मनीयाडर बढ़िया सी पहरूँ मैं साडी लग्या सुनहरी बाडर गठीला मेरा गात सै - 4
अंग अंग फड़के सै मेरा-रात सावणी आई घरआला छुट्टी आवण नैं-जब घालैगा भाई, होवण नैं मुलाकात सै -5
पीहर मैं जी लागै कोन्या -बालम याद सतावै मरया डाकिया कई दिनां सैं चिट्ठी भी ना ल्यावै उचाटी दिन रात सै -6
बिल्ली मेरी कार काटगी ना जाऊँ मैं पाणी सिरीकिशन जी चालै मेरा ल्यादे न गुड़धाणी मन्नै वो बूरा भात सै -7
- श्रीकृष्ण गोतान 'मंज़र' |