साजण तो परदेस बसै

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी'

साजण तो परदेस बसै मैं सुरखी, बिंदी के लाऊं
सामण बी इब सुहावै ना, मैं झूला झूलण के जाऊं

नणदी बेशक सै प्यार करै, सासू बी कम ना लाड करै
बिन तेरे पर सब सुन्ना सै- मैं के ओढू, मैं के पाऊं

मन थमै ना इब थमाए बी, दिल लगै ना इब लगाए बी
कद आवैगा न्यू बतलादे, कदे बिरह मै ना मैं जर जाऊं

बाबू तो रहै बीमार तेरा, देवरजी पडण नै शहर गया
बिन तेरे काम कसूता सै, मैं चाहे किसकी सौं ठाऊं

सासू-माँ तन्नै याद करै, देवर बी कितना प्यार करै
दीवाली तै पहलां घर आ जा, सौं ऑपणी तन्नै मैं लाऊं

- रोहित कुमार 'हैप्पी'
   न्यूज़ीलैंड

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