एक मेरा यार जो होग्या तीस पार उसकी माँ नै मेरीतै बुलाया, बोल्ली- रै आपणे यार नै समझा ले, समझा इसनै अख शादी रचा ले।
मैं अपणे यार नै कमरे मैं लेग्या अर्र मौका मिलतेंई उसके गल्ल हो ग्या-
-रै तन्नै के तकलीफ सै? -शादी क्यूं नी करता?
वा बोल्या--जिस्सी छोरी चाहूं उसी मिलती कोना! मैं बोल्या--किसी हूर की परी चाहवै म्हानै बी बता दे।
तो उसनै न्यूं बखान करया--
मल्लिका सी हाइट हो खाती रोटी-राइस हो दिल से ना टाइट हो हर्र हरयाणे की पदाइश हो फेर तो मैं सूं राजी...
चंदरावल सी सुंदर हो झील जिस्सी आंख हों लांबे-लांबे बाल उसके हिरणी सी चाल हो फेर तो मैं सूं राजी...
कोयल ज्यूं हो बोलती मिसरी सी घोलती हरियाणवी मै बतलाती हो हँसती और हँसाती हो फेर तो मैं सूं राजी...
-रोहित कुमार 'हैप्पी' न्यूज़ीलैंड |