हो-ग्या इंजन फेल चालण तै, घंटे बंद, घडी रहगी । छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी ॥टेक॥
भर टी-टी का भेष रेल में बैठ वे कुफिया काल गये - बंद हो-गी रफ्तार चलण तैं, पुर्जे सारे हाल गये । पांच ठगां नै जेब कतर ली, डूब-डूब धन-माल गये - बानवें करोड़ मुसाफिर थे, वे अपना सफर संभाल गये ॥1॥
उठ-उठ कै चले गए, सब खाली सीट पड़ी रहगी । छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रहगी ॥
टी-टी, गार्ड और ड्राइवर अपनी ड्यूटी त्याग गए - जळ-ग्या सारा तेल खतम हो, कोयला पाणी आग गए । पंखा फिरणा बंद हो-ग्या, बुझ लट्टू गैस चिराग गए - पच्चीस पंच रेल मैं ढूंढण एक नै एक लाग गए ॥2॥
वे भी डर तैं भाग गए, कोए झांखी खुली भिड़ी रहगी । छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी ॥
कल-पुर्जे सब जाम हुए भई, टूटी कै कोए बूटी ना - बहत्तर गाडी खड़ी लाइन मैं, कील-कुहाड़ी टूटी ना । तीन-सौ-साठ लाकडी लागी, अलग हुई कोई फूटी ना - एक शख्स बिन रेल तेरी की, पाई तक भी ऊठी ना ॥3॥
एक चीज तेरी टूटी ना, सब ठौड़-की-ठौड़ जुड़ी रह-गी । छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रहगी ॥
भरी पाप की रेल अड़ी तेरी पर्वत पहाड़ पाळ आगै - धर्म-लाइन गई टूट तेरी नदिया नहर खाळ आगै । चमन चिमनी का लैंप बुझ-ग्या आंधी हवा बाळ आगै - किन्डम हो गई रेल तेरी जंक्शन जगत जाळ आगै ॥4॥
कहै लखमीचंद काळ आगै बता किसकी आण अड़ी रहैगी ? छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी ॥
- पं० लखमीचंद |