गया बख्त आवै कोन्या, ना रहरे माणस श्याणे पहल्म बरगा प्यार रहया ना, इब होरे दूर ठिकाणे॥
पहले जैसा कोन्या रहया, यार और व्यवहार कती बीर-मर्द की कोन्या रही रै, घर महै ताबेदार कती माणस माणस बैरी होरया, कोन्या बसै पार कती भीड पडी महै धोखा देज्या, साढू रिश्तेदार कती बाहण नै भाई इब प्यारा कोन्या, सगे होज्या सै बिराणे। पहल्म बरगा प्यार रहया ना, इब होरे दूर ठिकाणे॥
मात पिता की कद्र करणीया, ना कोए इसा लाल यहां छोटे बडे की शर्म रही ना, इसा होरया बुरा हाल यहां गात समाई रहरी कोन्या, सबै मेरा मेरी चाल यहां साधु संत का बाणा कोन्या, लुटै सारै माल यहां बडेरा भी इब खता खाज्या, लावै घर महै उल्हाणे। पहल्म बरगा प्यार रहया ना, इब होरे दूर ठिकाणे॥
कोर्ट के महै चलै मुकदमे, फेर भी कोए समाधान नहीं कहै पाच्छै के फिरजा रै, इब खरी वा जुबान नहीं मण मण बोरी ठाले भाई, गोडा मै इब वा जान नहीं धन दौलत कै पाच्छै भाजै, हर महै कोए ध्यान नहीं जमींदार नु मारा फिरै, मेरे होज्या दो दाणे। पहल्म बरगा प्यार रहया ना, इब होरे दूर ठिकाणे॥
श्री लख्मी चंद जैसा कवि, और सांग इब पावै ना आये गये का धर्म कोन्या, ज्यादा मेल बढावै ना मन्दीप कंवल भुरटाणे आला, झूठी बात बतावै ना धन माया सब आडै रहैजा, गेल्यां कुछ भी जावै ना मालिक भी भली करैगा, जद छोडै पाप कमाणे। पहल्म बरगा प्यार रहया ना, इब होरे दूर ठिकाणे॥
- मंदीप कंवल भुरटाना मोबाइल - 9034833182 |