हुड्डा हो, चौटाला हो

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी'

हुड्डा हो, चौटाला हो
कदै न घोटाळा हो
हाँ, कदै न घोटाळा हो.....

आपणे पराये का
आँखा म्ह ना जाला हो
हाँ, आँखा म्ह ना जाला हो.....

घर सबका सांझा रहै
कमरयां म्ह ना ताळा हो
हाँ, कमरयां म्ह ना ताळा हो.....

सीदी-सादी बात हो
मन म्ह ना काळा हो
हाँ, मन म्ह ना काळा हो.....

आपणी राख बोली-बाणा
पाट ज्यगा चाळा हो
हाँ, पाट ज्यगा चाळा हो.....

देस म्ह आपणा लट्ठ-सा गड ज्या
बस हरियाणा-हरियाणा हो....
हाँ, हरियाणा-हरियाणा हो....

            -रोहित कुमार 'हैप्पी'
              न्यूज़ीलैंड

 

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