री कितणी फोटो स्टेट सै | हरियाणवी ग़ज़ल

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 विनोद मैहरा बेचैन

तेरी कितणी फोटो स्टेट सै इस धरती पै गिणा दे
तू रहवे सै किस जगह ओये भगवान पर्दा उठा दे

यो तेरा भगत तो तेरी छवि कई शक्ल में देखे सै
किसा गडबड घोटाला सै तू यो मामला सुलझा दे

बस इतणा ए कहूँगा साफ सुथरी महोब्बत करणीये
दिल के दरवाजे पै कोए अडंगा पड़ा सै तो ठा दे

मेरी बेईज्जती करके शायद उतर जावे कर्ज़ तेरा
तैंने जितने भी अहसान करे सै महफ़िल में गा दे

सर पैरा में धर के और हाथ जोडके रिक्वेस्ट सै
जो तेरे बस का नही सै मैंने वो लाहरसा ऩा दे

वो रोटी खाते टैम न्यू याद करया जणू पितर हो
तकलीफ किसने ज्यादा सही मैंने तू इश्क बता दे

साँस आखरी लेवेगा उस टाइम यो दोस्त बेचैन
तैंने छोड़ जिसपे वजूद गिरवी सै स्यामी ल्या दे

-वी एम बेचैन

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