लगा बुढेरा एक बताण

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी'

लगा बुढेरा एक बताण
आपस मै ना करो दुकाण
लगा बुढेरा एक बताण......

पडणा-लिखणा अच्छा हो सै
पर माणस की सीख पछाण
           लगा बुढेरा एक बताण......

देखा-परखा सै जग सारा
लाग रहे मेरे धौळे आण
          लगा बुढेरा एक बताण......

आपणी राखैं लोग छुपा कै
आवैंगे ये तेरी खाण
         लगा बुढेरा एक बताण......

भोळा-सौद्दा माणस सूं मैं
पर ना मूरख मन्नै जाण
         लगा बुढेरा एक बताण......

रग-रग मैं दुनिया की जाणूं
लगे स्याणे मन्नै भकाण
         लगा बुढेरा एक बताण......

रोज-रोज की वए कहाणी
सुण-सुण पाके पड़ै सैं कान
         लगा बुढेरा एक बताण......

              - --रोहित कुमार 'हैप्पी'
                   न्यूज़ीलैंड

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