मन्नै छोड कै ना जाइए, मेरे रजकै लाड़ लड़ाइए, अर मन्नै इसी जगां ब्याइए, जड़ै क्याकैं का दुख ना हो।
छिक के रोटी खाइए, अर मन्नै भी खुवाइए,, जो चाहवै वो ए पाइए, पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए, जड़ै क्याकैं का सुख ना हो।
माँ तेरे पै ए आस सै, पक्का ए विश्वास सै, तू ए तो मेरी खास सै, यो खास काम करके दिखाइए।
माँ की मैं दुलारी सुं, ब्होत ए घणी प्यारी सुं, दिल तैं भी सारी सुं, पर कदे दिल ना दुखाइए।
बाबु का काम करणा, रूपए जमा करके धरणा, इन बिना कती ना सरणा, काम चला कै दिखाइए।
गरीबी तै तनै लड़-लड़कै, रातां नै खेतां म्हं पड़-पड़कै, अपणे हक खातर अड़-अड़कै, बाबु ब्होत ए धन कमाइए, पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए जडै क्याएं का सुख ना हो।
माँ-बाबु तामै मन्नै पालण आले, मेरे तो ताम आखर तक रूखाले, वे इबे मन्नै ना सै देखे भाले, कदे होज्या काच्ची उम्र म्हं चालै, 'संदीप भुरटाणे' आले मन नै समझाइए, पर मन्नै इसी जगां ना ब्याइए, जडै क्याएं का सुख ना हो।
-संदीप कंवल भुरटाना |