म्हारा हरियाणा संकलन

इस पृष्ठ के अंतर्गत हरियाणा के इतिहास, हरियाणा के नगरों व हरियाणवी भाषा की सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। । यदि आप हरियाणा से जुड़े हुए हैं और आपके पास सामग्री है तो कृपया उपलब्ध करवाएं।

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गाँधी पर हरियाणवी लोकगीत

हरियाणवी लोक मानस पर पड़े राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के प्रभाव की झलक इस प्रदेश के लोक गीतों में पूरी तरह मिलती है जो यहां के भोले-भाले बच्चों ने गाए हैं और जिन के माध्यम से इस प्रदेश की नारियों ने पूज्य बापू के प्रति अपनी भावनाएं अभिव्यक्त की हैं। बच्चों द्वारा गाए जाने वाले लोक गीतों में भले तुकबदियां ही हैं परंतु इन तुकबंदियों में भी बड़े सीधे सादे सरल ढंग से बापू के विभिन्न कार्यों की विशद चर्चा हुई है। इन गीतों में महात्मा गांधी के सभी राजनैतिक तथा समाज सुधार संबंधी कार्य क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व मिला है। गांधी जी के जलसे में शामिल होने की नारियों उत्सुकता से नारियों की जागरूकता का संकेत भी मिलता है। हरियाणवी लोक गीतों द्वारा प्रस्तुत किए गए बापू जी की मृत्यु के करुण दृश्य से सभी की आखें सजल हो उठती हैं। एक गीत की निम्न पंक्तियां अपनी अमिट छाप छोड़ देती है: 

काचा कुणबा छोड़ के बाब्बू सुरग लोक में सोगे।
भारत के सब नर नारी अब बिना बाप के होगे॥

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हरिहर की धरती हरियाणा - रथुनाथ प्रियदर्शी

सबका प्यारा, सब तैं न्यारा, 'हरिहर' की धरती हरियाणा। 
तीरथ-मेले-धरोवरों का, धरम-धाम यो हरियाणा॥टेक॥

'हरिहर' की धरती की महमा, वेद -पुराणों मैं गाई।
गौरव-गाथा हतिहासों कैं, स्वर्ण--अक्षरों मैं छाई॥
आर्यवर्त, ब्रह्मवर्त, सारस्वत, नामा तैं सब नैं भाया।
'हरि' का 'यान' उरै आणै तैं, 'हरियाणा' यो कहलाया॥
'सप्तसिंधु ' का देस कदीमा, ब्होत पुराणा हरियाणा।
सब का प्यारा, सब तैं न्यारा, 'हरिहर'-धरती हरियाणा॥1॥

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कौटिल्य - हरियाणा का अद्भुत बच्चा

हरियाणा के करनाल ज़िले के कोहंड गांव का रहने वाला पांच वर्ष आठ महीने की आयु का कौटिल्य आजकल चर्चा का विषय है। कोई उसे 'गूगल ब्वाय' तो कोई 'चलता फिरता कम्प्यूटर' संबोधित कर रहा है।

Wonder boy of Haryana also known as 'Google Boy' with Haryana CM
कौटिल्य को 10 लाख का पुरस्कार प्रदान करते हुए, मुख्यमंत्री हरियाणा, भूपिंद्रसिंह हुड्डा।
छायाचित्र में रणदीप सिंह सूरजेवाला व बच्चे के दादाजी जय किशन शर्मा भी उपस्थित हैं।

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दीवाली - सत्यदेव शर्मा 'हरियाणवी'

पत्नी नै अपनी अक्लबन्दी की मोहर
मेरे दिल पै जमा दी
और दीवाली आवण तै पहलम
सामान की एक लम्बी लिस्ट
मेरे हाथ में थमा दी।

लिखा था--
अपने लिये एक साड़ी
बच्चों के लिए नये कपड़े
नये जूते, दो बर्तन
खील-खिलौने और पताशे
पूजन के लिए फूल जरा-से
रंग दो माशे/तथा ढेर सारा
पकवान का सामान व
दो किलो मिठाई भी आप लायेंगे और पचास रुपये के पटाखे
जो दीवाली के दिन बच्चे छुटायेंगे।

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आपणा घर--रेनू शर्मा

‘‘आं री ताई आज तो तुं चांए चांए फिरै सै के बात सै।'' बूढ़ी ठेरी रामदेई तै दुकानां पै तै समान ल्यांदवा देखकै पंसारी बोल्या।

बूढ़ी रामदेई नै नजर का चश्मा ठीक कर्या अर बोली, ‘‘भाई के बताऊं मेरे भतीजे कै घणे सालां बाद छोरा होया सै। औठै जाणा सै तडक़ै जाऊँगी उसेकी तैयारी करूँ सूं।"

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ऊंची एडी बूंट बिलाती | लोकगीत 

ऊंची एडी बूंट बिलाती पहरन खात्तर ल्यादे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

बाग बेच दे बिरसा बेच दे मन्नै रमझोल घड़ा दे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

बैल बेच दे भैंस बेच दे साड़ी जम्फर ल्यादे,
जै तेरे बसकी बात नहीं तो म्हारे घरां खंदा दे।

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मैं तो गोरी-गोरी नार | लोकगीत

मैं तो गोरी-गोरी नार, बालम काला-काला री!
मेरे जेठा की बरिये, सासड़ के खाया था री?

तेरे जेठा की बरिये मन्नै बरफी खाई री।

वा तो बरफियां की मार जिबे धोला-धोला री!
मेरे देवर की बरिये, सासड़ के खाया था री?

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मन डटदा कोन्या

मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मैं साइकल तो घुमाया करूं
एक मन कहै मोटर कार मैं चलाया करूं
रै मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मेरे पांच सात तो छोहरे हों
एक मन कहै सोना चांदी भी भतेरे हों
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा

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बता मेरे यार सुदामा रै

बता मेरे यार सुदामा रै, भाई घणे दिनां मै आया - 2
बाळक था रै जब आया करता, रोज़ खेल कै जाया करता - 2

हुई के तकरार सुदामा रै, भाई घणे दिनां मै आया - 2
बता मेरे यार सुदामा रै, भाई घणे दिनां मै आया - 2

मन्नै सुणा दे कुटुम्ब कहाणी, क्यूकर पड़गी ठोकर खाणी - 2
रै, मन्नै सुणा दे कुटुम्ब कहाणी, क्यूकर पड़गी ठोकर खाणी - 2

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हरियाणा का इतिहास | History of Haryana

भारतीय गणतन्त्र में, एक अलग राज्य के रूप में, हरियाणा की स्थापना यद्यपि 1 नवम्बर, 1966 को हुई, किन्तु एक विशिष्ट ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक इकाई के रूप में हरियाणा का अस्तित्व प्राचीन काल से मान्य रहा है। यह राज्य आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता की धुरी रहा है। मनु के अनुसार इस प्रदेश का अस्तित्व देवताओं से हुआ था, इसलिए इसे 'ब्रह्मवर्त' का नाम दिया गया था।

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