मन डटदा कोन्या (काव्य)    Print this  
Author:म्हारा हरियाणा संकलन

मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मैं साइकल तो घुमाया करूं
एक मन कहै मोटर कार मैं चलाया करूं
रै मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मेरे पांच सात तो छोहरे हों
एक मन कहै सोना चांदी भी भतेरे हों
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा


रचनाकार--अज्ञात
साभार--हरियाणा के लोकगीत
संपादक--साधु राम शारदा
हरियाणा साहित्य अकादमी

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